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प्राकृतिक चिकित्सा यानी प्रकृति के 5 मूल तत्वों व उनके द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थों से स्वास्थ्य−रक्षा व रोग निवारण। मनुष्य सरल-सहज जीवन व्यतीत करता है, तब वह प्रकृति की इन शक्तियों का प्रयोग कर स्वस्थ रहता है। पर जब वह कृत्रिमता की ओर बढ़ता है, रहन−सहन तथा खान−पान को विकृत कर देता है, तो उसकी स्वास्थ्य−संबंधी उलझनें बढ़ जाती हैं जिनको रोग कहा जाता है। इन्हें दूर करने के लिए अनेक प्रकार की चिकित्सा−प्रणालियाँ प्रचलित हो गई हैं, जिनमें हजारों तरह की औषधियों, विशेषतः तीव्र विषात्मक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है। इनसे जहाँ कुछ रोग अच्छे होते हैं, वहाँ उन्हीं की प्रतिक्रिया से कुछ नए रोग उत्पन्न हो जाते हैं और संसार में रोगों की वृद्धि होती जाती है। मूल मंत्र यह कि “हमारा आहार ही हमारी औषधि हो और हमारी औषधि ही हमारा आहार।” प्राचीन आहार पद्धति ऐसी ही रही है। कालक्रम से यह अवस्था बहुत बिगड़ गई और लोग कई तरह के भयानक रोगों के पंजे में फँस गए है। हम पुनः उस परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रतिष्ठित करना चाहते हैं. जिसमें कोई औषधि नहीं, भोजन ही औषधि है। इसलिए हमने इसे किचन थैरेपी नाम दिया है। Dr. Madan ModiAdd favorite
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प्राकृतिक चिकित्सा यानी प्रकृति के 5 मूल तत्वों व उनके द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थों से स्वास्थ्य−रक्षा व रोग निवारण। मनुष्य सरल-सहज जीवन व्यतीत करता है, तब वह प्रकृति की इन शक्तियों का प्रयोग कर स्वस्थ रहता है। पर जब वह कृत्रिमता की ओर बढ़ता है, रहन−सहन तथा खान−पान को विकृत कर देता है, तो उसकी स्वास्थ्य−संबंधी उलझनें बढ़ जाती हैं जिनको रोग कहा जाता है। इन्हें दूर करने के लिए अनेक प्रकार की चिकित्सा−प्रणालियाँ प्रचलित हो गई हैं, जिनमें हजारों तरह की औषधियों, विशेषतः तीव्र विषात्मक द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है। इनसे जहाँ कुछ रोग अच्छे होते हैं, वहाँ उन्हीं की प्रतिक्रिया से कुछ नए रोग उत्पन्न हो जाते हैं और संसार में रोगों की वृद्धि होती जाती है। मूल मंत्र यह कि “हमारा आहार ही हमारी औषधि हो और हमारी औषधि ही हमारा आहार।” प्राचीन आहार पद्धति ऐसी ही रही है। कालक्रम से यह अवस्था बहुत बिगड़ गई और लोग कई तरह के भयानक रोगों के पंजे में फँस गए है। हम पुनः उस परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रतिष्ठित करना चाहते हैं. जिसमें कोई औषधि नहीं, भोजन ही औषधि है। इसलिए हमने इसे किचन थैरेपी नाम दिया है।